डिमांड बढ़ने से साइकिल इंडस्ट्री में बूम, लेकिन आ रही है ये दिक्कत
साइकिल इंडस्ट्री इस समय महज 45 फीसदी लेबर के साथ काम कर रही है. साइकिल इंडस्ट्री पूरी तरह से श्रमिकों पर निर्भर है.
वैसे तो दिल्ली की सड़कें ट्रैफिक जाम के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इन दिनों यहां की सड़कों पर एक नया ट्रेंड रफ्तार पकड़ रहा है. आप तड़के दिल्ली की किसी भी सड़क पर निकल जाएं तो देखेंगे कि बड़ी संख्या में नौजवान साइकिल (Cycle) दौड़ाते नजर आएंगे.
जिन सड़कों पर सुबह 3-4 बजे के दरमियान खामोशी पसरी रहती थी वे इन दिनों साइकिल वालों से गुलजार रहती हैं. नौजवानों में साइकिल का क्रेश सिर चढ़कर बोल रहा है. साइकिल भी खूब महंगी और स्टाइलिश. दिल्ली के ज्यादातर माता-पिता बच्चों की साइकिल की डिमांड को पूरा करने की जुगत में लगे हुए हैं.
साइकिल की डिमांड बढ़ने से निश्चित ही साइकिल इंडस्ट्री बूम पर है. कोरोना काल में भले ही तमाम उद्योग-धंधों के सामने अपना अस्तित्व बचाए रखने का भी संकट खड़ा कर दिया हो, लेकिन साइकिल इंडस्ट्री ने ग्रोथ की नई ऊंचाइयों को छूआ है. साइकिल इंडस्ट्री की सबसे अच्छी बात ये है कि अब जो डिमांड निकलकर सामने आ रही है वह औसत साइकिल की नहीं बल्कि महंगी साइकिलों की है.
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इसके बाद भी साइकिल इडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है. और वह संकट है श्रमिकों का.
देश में सबसे ज्यादा साइकिल पंजाब में बनती हैं. लुधियाना के साइकिल निर्माताओं का कहना है कि साइकिल की डिमांड लगातार बढ़ रही है, लेकिन समस्या ये है कि वे इस डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि इंडस्ट्री में श्रमिकों की कमी (labour shortage) है. लॉकडाउन में पंजाब से बड़ी संख्या में श्रमिक अपने-अपने गृह राज्यों को चले गए थे. ये श्रमिक अभी तक वापस नहीं आए हैं.
Cycle industry is struggling with labour shortage as govt had sent labourers to home in special trains. The industry is working with 45% labour force. We demand that the govt makes arrangements to bring back labourers: Gurmeet Singh Kular, president of FICO, an industry group. https://t.co/J42KkqKA4k pic.twitter.com/hsC5YSefDh
— ANI (@ANI) September 7, 2020
भोगल साइकिल (Bhogal Cycles) के एएस भोगल ने बताया कि साइकिल उद्योग (Cycle industry) खूब फलफूल रहा है. उन्होंने बताया कि अगर उनके पास पर्याप्त मात्रा में लेबर हो तो वे लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई बड़े आराम से कर सकते हैं. लेकिन समस्या ये है कि उनके यहां ही नहीं पूरी इंडस्ट्री लेबर की कमी से जूझ रही है.
साइकिल उद्योग के एक संगठन FICO के अध्यक्ष गुरमीत सिंह ने बताया कि साइकिल इंडस्ट्री इस समय महज 45 फीसदी लेबर के साथ काम कर रही है. उन्होंने बताया कि साइकिल इंडस्ट्री पूरी तरह से श्रमिकों पर निर्भर है.
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गुरमीत सिंह ने कहा कि जिस तरह लॉकडाउन में सरकार ने श्रमिकों को उनके घर भेजने की व्यवस्था की थी, उनके लिए विशेष रेलगाड़ियां (special trains )चलाई थीं, उसी तरह की व्यवस्था श्रमिकों को वापस लाने के लिए होनी चाहिए.
08:00 AM IST